खटारा बसों के भरोसे है लहरपुर का परिवहन
>> Tuesday, 4 December 2007
नगर से सीतापुर, लखीमपुर, बिसवां, तम्बौर, भदफर आदि स्थानों को जाने के लिए निजी बस परिवहन ही एक मात्र साधन हैं। आज जब सारी दुनिया में तीव्र एवम् आरामदायक परिवहन की बात की जा रही है तो लहरपुर इस मामले में निरन्तर पिछड़ता ही जा रहा है। लगभग २० वर्ष पूर्व नगर की बसों की हालत बहुत अच्छी होती थी जिस कारण आस-पास के क्षेत्रों तक से लोग यहां बसों को बुक कराने के लिए आया करते थे। सीतापुर तक की ३३ कि०मी० यात्रा में २ घंटे लगना ही यह बताता है कि इस मार्ग पर आना-जाना कितना दुष्कर है । दैनिक यात्रियों का तर्क है कि जब इतनी कम दूरी को तय करने में ही इतना समय लग जाता है तो कार्यालय में समय से कैसे पहुंचा जा सकता है ? बस के स्टाफ द्वारा यात्रियों से दुर्व्यवहार किया जाना एक नियम ही बन चुका है। पहले तो चालक एक घंटे तक इधर-उधर करते रहते हैं और फिर देर होने पर खटारा बसों को उनकी क्षमता से अधिक भर कर तेज़ गति से चला कर दुर्घटना को दावत देते रहते हैं। किसी यात्री द्वारा विरोध करने पर अभद्र बातें करना परिचालकों के व्यवहार में शामिल हो गया है। इस व्यवस्था में सुधार के लिए जब विचार किया गया तो कुछ बातें सामने आईं जैसे कि बसों की हालत ठीक की जाए, दैनिक यात्री किराए के पूरे पैसे अदा करें, बसों के गन्तव्य तक पहुंचने का एक समय निश्चित किया जाए और सरकार की ओर से छोटे मार्गों पर चलने वाली बसों के लिए कर निर्धारण की अलग प्रक्रिया अपनाई जाए। लोगों को स्थानीय विधायक मो० जासमीर से यह आशा है कि वो शीघ्र ही इस ओर भी ध्यान दे कर नगर से आने जाने की व्यवस्था को ठीक करने का प्रयास करेंगें। फिलहाल तो बिना रोडवेज़ के लहरपुर वाले खटारा बसों में धक्के खाने को मज़बूर हैं।
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